गुरुवार, 8 जनवरी 2009

या इलाही ये माजरा क्या है ............

गणेश शंकर विद्यार्थी , माखनलाल चतुर्वेदी जैसे पत्रकारों ने कलम की खातिर नैतिकता के नए नए प्रतिमान स्थापित किए ।
खींचों ना तलवार ना कमान निकालो
जब तोप हो मुकाबिल तो अखबार निकालो ।
संभवतः ऎसा ही कोई शेर है ,जो पत्रकारों को नैतिकता के साथ व्यवस्था के गुण दोष सामने लाने का हौंसला और जज़्बा देता है । पत्रकारिता आज़ादी के पहले तक , बल्कि आज़ादी के कुछ साल बाद तक मिशन हुआ करती थी । अब पत्रकारिता मशीन बन गई है , उगाही करने की मशीन ....। सबसे ज़्यादा चिंता की बात ये है कि अब मालिक ही अखबार के फ़ैसले लेते हैं और हर खबर को अपने नफ़े नुकसान के मुताबिक ना सिर्फ़ तोडते मरोडते हैं , बल्कि छापने या ना छापने का गणित भी लगाते हैं ।
भोपाल से निकलने वाले एक अखबार ने नए साल में पत्रकारिता के नए मानदंड स्थापित किए हैं । अपनी तरह का शायद ये पहला और शर्मनाक
मामला होगा । अपने आपको समाज का हित चिंतक बताने वाले इस अखबार ने दो जनवरी को एक समाचार दिया और फ़िर चार जनवरी को इसी समाचार पर U टर्न मार लिया । संभव है कि आने वाले सालों में पत्रकारिता जगत में आने वाले छात्र इसे कोर्स की किताबों में भी पाएं। कहानी पूरी फ़िल्मी है । आप ही तय करें ये सच है या वो सच था .........
दो जनवरी को प्रकाशित चार जनवरी को प्रकाशित



































































5 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

खरीबात और सत्‍य कहने के साहस के लिए साधुवाद

राजेश कुमार ने कहा…

अब पत्रकारिता मिशन नहीं रहा। अब यह व्यवसाय का रूप धारण कर चुकी है। कुछ उदाहरण स्वरूप घटनाओं को छोड़ दे तो आज की पत्रकारिता भी ईमानदार है। जो मामले आपने सामने लाया है वह सराहनीय है।

Sachin ने कहा…

आपने सही लिखा है सरिता जी। आपके मुद्दे अच्छे होते हैं और आप उनपर सटीक लिखती हैं। मैंने आपको वैबदुनिया में भी पढ़ा है। भोपाल में किस अखबार या पत्रिका में रहकर पत्रकारिता कर रही हैं आप.....????

बेनामी ने कहा…

na jaane kya maajra hai

विष्णु बैरागी ने कहा…

आपने सचमुच में दर्पण दिखा दिया।
1977 के लोकसभा चुनावों के बाद, पत्रकारों के एक समूह को सम्‍बोधित करते हुए, देश के तत्‍कालीन सूचना प्रसारण मन्‍त्री लालकृष्‍ण आडवाणी ने कहा था - 'आपसे झुकने के लिए कहा गया था लेकिन आप रेंगने लगे।'
लगता है, आडवाणी की बात आज ज्‍यादा प्रभाव से सच सबित हो रही है।