अपने मुन्ना भाई भले ही एमबीबीएस ना कर पाए हों मगर अब साइकल की सवारी कर संसद भवन में एंट्री की पूरी तैयारी में हैं । समाजवादी पार्टी सत्ता हासिल करने के लिए किस स्तर तक जा सकती है ये तो अमर सिंह का अगला बयान ही बताएगा । लेकिन एक सवाल - टाडा के तहत दोषी करार दिये गये संजय दत्त को क्या सिर्फ़ इस लिये संसद में पहुंचने का हक मिल जाना चाहिए क्योंकि वे एक फ़िल्म में गाँधीगिरी के पक्ष में खडे दिखाई देते हैं । किसी फ़िल्म का हिट होना और उसका कोई जुमला लोगों की ज़ुबान पर चढ जाना ही सांसद बनने की योग्यता का पैमाना कैसे बन सकता है ?
माननीय अमरुद्दीन बाटला हाउस एनकाउंटर को फ़र्ज़ी करार देने में नहीं हिचकते , हिलेरी क्लिंटन की समाजसेवी संस्था को मोटा चंदा देने की बात पर चुप लगा जाते हैं । एकाएक संजय दत्त की उम्मीदवारी को जायज़ ठहराने के लिए एक फ़िल्म का हवाला देते हैं । अमर वाणी है कि संजय दत्त ने युवाओं के बीच अपनी फ़िल्म के माध्यम से गाँधी को दोबारा लोकप्रिय बनाने का सराहनीय काम किया है । गोया कि गाँधी जी भारत में अपनी पहचान के लिए संजय दत्त के मोहताज हों ....।
मज़े की बात है कि अमर सिंह गाँधीजी के नाम पर संजय दत्त को राजनीति की सीढियों पर ऊपर चढाने की जुगत लगा रहे हैं । उधर मुम्बई हमले के बाद मीडिया को बुलाकर कैमरे के सामने अपनी पीडा बताते हुए संजय दत्त खुद मानते हैं कि गाँधीगिरी करके आतंकियों से नहीं निपटा जा सकता ।
अमर सिंह आखिर देश को कहां ले जाना चाहते हैं .....? सारे भांड - मिरासियों , अपराधी तत्वों की फ़ौज संसद में पहुंचा कर ही दम लेंगे क्या ...?अमर सिंह जी ज़रा इन नामों पर भी गौर करें : अबु सलेम , बबलू श्रीवास्तव, मोनिका बेदी भी खासे लोकप्रिय हैं , इन्हें भी टिकट की दरकार है । ऎसा ही चलता रहा तो शोले का गब्बर सिंह वाला डायलाग चलन में लौटेगा संसद सदस्यों के लिए - ठाकुर ने .........की फ़ौज तैयार की है ।
लेकिन एक बात गौर करने वाली है कि गांधी के देश में गाँधी को पूछने वाला कोई नहीं । युवाओं में गाँधीगिरी का क्रेज़ है लेकिन गाँधीवाद दम तोड चुका है । गाँधी दर्शन लोगों के आचार , विचार और व्यवहार से गुम हो चुका है । इसका सबसे बडा उदाहरण है गाँवों की पहचान का खत्म होना । ग्रामीण अर्थव्यवस्था का तार तार हो जाना । एक वक्त था जब शहर गाँवों पर निर्भर थे लेकिन अब गाँव शहरों के मोहताज होकर रह गये हैं । बहरहाल गाँधीजी के दर्शन पर चर्चा फ़िर कभी ।
वैसे एक दिलचस्प खबर और भी .....। अपराधी तत्व संवैधानिक संस्थानों में पूरी ठसक से प्रवेश पा रहे हैं , जनता की सहमति लेकर .....???????? मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री , तमाम मंत्रियों और आला अफ़सरों की सुरक्षा में लगे 1000 अंगरक्षकों के चरित्र का गोपनीय सत्यापन कराया जा रहा है । वीआईपी सुरक्षा में तैनात किए जाने वाले अंगरक्षकों की कार गुज़ारियों को जानने के लिए उनके पिछले तीन सालों का रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है । इसमें उनकी दिनचर्या ,लत और संगत का लेखा जोखा तैयार किया जाना है ।
वैसे बता दें कि एक गैर सरकारी संगठन नेशनल इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश ,राजस्थान , दिल्ली ,छत्तीसगढ मिज़ोरम में हाल ही में चुने गये 549 विधायकों में से 124 का आपराधिक रिकॉर्ड है । यानी हर पाँच में से एक ...। आप ही तय करें सुरक्षा की ज़रुरत किसे है ...?
9 टिप्पणियां:
समाजवादी साईकिल की सीट पर मुन्ना भाई कभी साईकिल पर बैठकर संसद न पहुँच पायेंगे.
ye rajneeti hai aur apna india to aapko maloom hi hai. yhan kuch bhi ho sakta hai. badhiya likha aapne. badhayi...
अच्छा लिखा है आपने । देश के मौजूदा हालात को बयान करते हैं आपके शब्द ।
http://www.ashokvichar.blogspot.com
इनके बिना राजनीति तो चल ही नहीं सकती न ..
अच्छा ठोंका !
देश में पहले लगाम हुआ करती थी | सब अपना अपना ख्याल खुद भी रखते थे | वह लगाम अब खो गयी है | आप अमर सिंह पर लाख फिकरे कसो, लगाम नहीं लगा सकते | लगाम हो तो लगे |
मुन्नाभाई तो जैसे भी हैं दूसरे मौजूदा सांसदों से तो बेहतर ही हैं | और इलिजिबिल भी हैं | चुनकर आने तो दो कुछ फर्क नहीं पडेगा |
बाद में भी वो ही संसद और वो ही संसद के खेल |
संजय दत्त का किसी राजनीतिक पार्टी से चुनाव लड़ना कोई अजूबा नहीं. आख़िर फ़िल्म लाइन के इतने सारे लोग राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवार बने ही हैं. और चुनाव लड़ने पर वे जीत भी सकते हैं. अमिताभ बच्चन ने तो हेमवती नंदन बहुगुणा जैसे दिग्गज को हराया था.
हाँ, अमर सिंह ने संजय दत्त की दावेदारी के पक्ष में जो दलीलें दी हैं वे उतनी ही मूर्खतापूर्ण और धूर्ततापूर्ण हैं जितने अन्य राजनीतिकों के बयान होते हैं. संसद में जिस प्रकार के लोग पहुँच रहे हैं उनका जिक्र आपने किया है. एक संजय दत्त और सही.
मोनिका बेदी, अबु सलेम आदि जैसे लोग पहले से ही भरे पड़े हैं..आशा करते हैं कि मुन्ना भाई ही आए..संजय दत्त नहीं.....
बहुत प्रेरणा मिली आपकी लाइन."जो देखना चाहते हो मेरी उड़ान को तो थोड़ा और ऊंचा करो आसमान को" से...सादर प्रणाम
jaisa yah desh hai or jaisi janta, natao k to kahne hi kya. ab aise me munna bhai jo n kare so thoda hai.
sahi kataksh
bahut khoob likha, tez talvaar si chali hai aapki kalam.
regards
Manuj Mehta
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