बुधवार, 15 अक्तूबर 2008

करवा चौथ के बहाने


कर्क चतुर्थी यानी करवा चौथ का व्रत को पूरे ग्लैमर के साथ मनाने के लिए हर तरफ़ ज़ोर -शोर से तैयारियां चल रही हैं । कहीं महिलाएं खुद को खूबसूरत दिखाने के लिए नए - नए नुस्खे आज़मा रही हैं , तो कहीं ब्यूटी पार्लर की ओर से मिलने वाले आकर्षक पैकेज का फ़ायदा लेकर रुप लावण्य को निखारा जा रहा है।
पति की लंबी उम्र की याचना हर रोज़ रुप बदलते चांद से करना भी बडा अजीब इत्तेफ़ाक है । कभी फ़िल्मों के ज़रिए प्रसिद्धि पाने वाले करवा चौथ की पापुलरिटी दिनोदिन तेज़ी से बढ रही है । एक तरफ़ तो देश में अलगाव और तलाक के मामलों का ग्राफ़ तेज़ी से ऊपर चढ रहा है । दूसरी ओर कर्क चतुर्थी पर अन्न जल त्याग कर चांद से पति परमेश्वर के दीर्घायु होने की कामना करने वाली पतिव्रता नारियों की तादाद भी कम नहीं । यह सामाजिक विरोधाभास कई सवालात को जन्म देता है।
वैसे इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि व्रत - त्योहारों का सामाजिक महत्व होता है । तीज - त्योहारों की गहमा गहमी जीवन की एकरसता को भंग कर उत्साह - उमंग का नया संचार करती है । बहरहाल समय के तेज़ी से घूमते चक्र के साथ परिस्थितियां भी बदली हैं । सामाजिक और घरेलू मोर्चे पर महिलाओं की भूमिका और दायित्वों में भी बदलाव आया है । रीति रिवाजों की डॊर से बंधी महिलाएं अजीब सी कशमकश में नज़र आती हैं । बकौल गालिब - इमां मुझे रोके है ,जो खींचे है मुझे कुफ़्र
काबा मेरे पीछे है , कलीसा मेरे आगे ।
दरअसल बदलते वक्त के साथ परंपराओं के स्वरुप में बदलाव लाना बेहद ज़रुरी है । आज के दौर में त्योहारों के मर्म को जानने समझने की बजाय हम परंपराओं के नाम पर पीढियों से चली आ रहे रीति रिवाजों को जस का तस निबाहे जा रहे हैं । संस्क्रति को ज़िन्दा रखने के लिए ज़रुरी है कि समय समय पर उसका पुनरावलोकन हो , गैर ज़रुरी मान्यताओं को छोडकर समय की मांग को समझ कर रद्दो बदल किए जाएं ।
इस बीच एक दिलचस्प खबर उन पति -पत्नियों के लिए जो जन्म -जन्म के साथ या फ़िर पुनर्जन्म की अवधारणा को सिरे से खारिज करते हैं । ऎसी महिलाएं जिन्हें घरेलू काम काज के लिए पतिनुमा नौकर की तलाश है ,उन्हें अब शादी के बंधन में बंधने की हरगिज़ ज़रुरत नहीं । अब आप काम काज के लिए घंटों के हिसाब से किराए पर पति ले सकते हैं । जी हैं ,अब पति की सेवाएं भी किराए पर उपलब्ध हैं । अर्जेंटीना की हसबैंड फ़ार सेल नाम की कंपनी साढे पंद्रह डालर प्रति घंटे के हिसाब से पति उपलब्ध करा रही है ।कंपनी का दावा है कि उसने अब तक दो हज़ार से ज़्यादा ग्राहक जोड लिए हैं और महिलाओं को ये सुविधा खूब पसंद आ रही है।

करवा चौथ पर खुद को वीआईपी ट्रीटमेंट का हकदार समझने वालों ,होशियार ..........

3 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

पति और पत्नी के बीच एक रिश्ता होता है जो परस्पर प्रेम और विश्वास पर आधारित होता है. प्रेम में इंसान लेने की कम और देने की बात ज्यादा करते हैं. इसी भावना को लेकर पत्नियाँ करवा चौथ पर व्रत रखती हैं और ईश्वर से अपने पति के दीर्घ जीवन और समृद्धि की कामना करती हैं.

अगर कोई पत्नी यह व्रत नहीं रखना चाहती तो न रखे. उस पर किसी प्रकार की जबरदस्ती नहीं है. लेकिन इस व्रत का मजाक उड़ाना ग़लत है.

Dr. Ashok Kumar Mishra ने कहा…

vrat aur pramparaein manyata sey judi hain. jo manata hai uskey liye mahatvpoorn, anya key liye aartheen.

चलते चलते ने कहा…

पति की लंबी आयु और समृद्धि के लिए करवा चौथ का व्रत किया जाता है लेकिन क्‍या पति भी अपनी पत्‍नी की लंबी आयु और समृद्धि चाहते हैं, यदि हां तो इसके लिए वे कौनसा व्रत करते हैं। क्‍या सारी जिम्‍मेदारियां पत्‍नी की हैं। पति की हर खुशहाली के लिए समय समय पर साल भर उपवास, पूजा, अर्चना करनी वाली पत्‍नी पर इसी देश के कई पति शक करते है, मारपीट करते हैं, दहेज के लिए घर से लात मारकर बाहर निकाल देते हैं, दूसरे पुरुष से चंद शब्‍द बोल ले तो उसके तथा‍कथित चक्‍कर चलने का फैसला कर लेना, पत्‍नी यदि जीवन में समृद्धि के मार्ग पर बढ़ाना चाहे तो उसे घरेलू औरत बनने की नसीहत दी जाती है। इस उपवास से पहले मानसिकता का बदलना जरुरी है। केवल परंपरा निबाहने के लिए ऐसे व्रतों का कोई औचित्‍य नहीं है। पुरुष प्रधान समाज में अभी समानता की भावना पूरी तरह से नहीं आई है। कई लोग मेरी इस बात से सहमत नहीं होंगे लेकिन महिलाओं को मूर्ख समझने, उनकी बुद्धि घुटने में होने या पैर की जूती समझने वालों के भी पत्‍नी के प्रति कई कर्त्तव्‍य बनते हैं जिन्‍हें शांति से सोचने और समझने के लिए चांद की चांदनी में बैठकर मनन करें। व्रत करने से नहीं, व्रत निबाहने से समाज को फायदा होगा। संकीर्ण मानसिकता वाले पुरुष प्रधान समाज को पहले अपने को ब्राड बनाना होगा।