अजगर करे ना चाकरी , पंछी करे ना काम ।
दास मलूका कह गये , सबके दाता राम ।
मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री की खातिरदारी का लुत्फ़ उठाने के बाद पंद्रह फ़ुटा अजगर निश्चित ही ये लाइनें गुनगुना रहा होगा । ८५ किलो वज़नी इन महाशय ने सिक्योरिटी के तमाम इंतज़ामात को धता बताते हुए श्यामला हिल्स स्थित मुख्यमंत्री निवास में घुसपैठ कर ली थी । और तो और वहां एक पालतू कुत्ते की दावत उडाने की भी कोशिश की । अजगर की भूख शांत करने के लिए उसे मुर्गों का ज़ायका लेने का मौका भी मिला ।
अखबार की सुर्खियों में रहे इस आराम तलब जीव ने चुनावी माहौल में कई दिग्गज नेताओं को बहुत कुछ संकेत दे दिए हैं । सीधे -सादे नज़र आने वाले शिवराज सिंह को जब सत्ता सौंपी गई थी , तब उन्हें रबर स्टैंप मानते हुए घाघ नेताओं ने भी खास तवज्जो नहीं दी थी । कमज़ोर माने जाने वाले इस नेता ने धीरे धीरे कई धुरंधरों को उनकी हैसियत बता दी है ।
राजधानी में काफ़ी चर्चा है इस वाकये की । लोगों का कहना है कि शिव के घर नाग आया , लेकिन अब तक के शिवराज के राजनीतिक सफ़र को देखते हुए इसे दो दोस्तों की सौजन्य भेंट का नाम दिया जाए तो गलत ना होगा । ये अलग बात है कि पूर्व निर्धारित नहीं होने के कारण अजगर महाशय मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं कर पाए ।
वैसे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री निवास में इससे पहले भी जंगल के कई नुमाइंदे अलग -अलग काल में मुख्यमंत्रियों से मेल मुलाकात का ख्वाब संजोये हुए ज़बरिया प्रवेश करते रहे हैं । मोतीलाल वोरा के शासनकाल में मगरमच्छ का आना चर्चा का मुद्दा बना ,तो एक तेंदुए ने दिग्विजय सिंह से मुलाकात की हसरत पाली । देखना दिलचस्प होगा कि अजगर नामा आने वाले चुनावों में क्या रंग दिखाएगा ।
दास मलूका कह गये , सबके दाता राम ।
मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री की खातिरदारी का लुत्फ़ उठाने के बाद पंद्रह फ़ुटा अजगर निश्चित ही ये लाइनें गुनगुना रहा होगा । ८५ किलो वज़नी इन महाशय ने सिक्योरिटी के तमाम इंतज़ामात को धता बताते हुए श्यामला हिल्स स्थित मुख्यमंत्री निवास में घुसपैठ कर ली थी । और तो और वहां एक पालतू कुत्ते की दावत उडाने की भी कोशिश की । अजगर की भूख शांत करने के लिए उसे मुर्गों का ज़ायका लेने का मौका भी मिला ।
अखबार की सुर्खियों में रहे इस आराम तलब जीव ने चुनावी माहौल में कई दिग्गज नेताओं को बहुत कुछ संकेत दे दिए हैं । सीधे -सादे नज़र आने वाले शिवराज सिंह को जब सत्ता सौंपी गई थी , तब उन्हें रबर स्टैंप मानते हुए घाघ नेताओं ने भी खास तवज्जो नहीं दी थी । कमज़ोर माने जाने वाले इस नेता ने धीरे धीरे कई धुरंधरों को उनकी हैसियत बता दी है ।
राजधानी में काफ़ी चर्चा है इस वाकये की । लोगों का कहना है कि शिव के घर नाग आया , लेकिन अब तक के शिवराज के राजनीतिक सफ़र को देखते हुए इसे दो दोस्तों की सौजन्य भेंट का नाम दिया जाए तो गलत ना होगा । ये अलग बात है कि पूर्व निर्धारित नहीं होने के कारण अजगर महाशय मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं कर पाए ।
वैसे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री निवास में इससे पहले भी जंगल के कई नुमाइंदे अलग -अलग काल में मुख्यमंत्रियों से मेल मुलाकात का ख्वाब संजोये हुए ज़बरिया प्रवेश करते रहे हैं । मोतीलाल वोरा के शासनकाल में मगरमच्छ का आना चर्चा का मुद्दा बना ,तो एक तेंदुए ने दिग्विजय सिंह से मुलाकात की हसरत पाली । देखना दिलचस्प होगा कि अजगर नामा आने वाले चुनावों में क्या रंग दिखाएगा ।
3 टिप्पणियां:
इसमें नाराज होने वाली क्या बात है . वो तो राजा हैं कुछ भी करें . हम क्या कर लेंगे .
sareethaji,
achcha likha hai aapney.
अजगर क्यों चाकरी करेगा, उसकी चाकरी तो शिवराज सिंह चौहान करेंगे जिन्होंने इसे अपने शासनकाल में खूब आराम दिया है। यदि अगली बार (संयोग से) शिवराज आ गए तो इस अजगर को भी वे दावत पर बुला सकते हैं। खैर, फिलहाल तो शिवराज सिंह के पास समय ही नहीं है इस अजगर के लिए, अभी तो उन्हें खुद जनता की चाकरी के लिए निकलना है ताकि वोटो पर हाथ साफ कर सकें।
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