दुनिया भर में भूमिगत जल का स्तर तेजी से घट रहा है और विकासशील देशों में तो स्थिति बेहद गंभीर है । इन देशों में जल स्तर गिरने की रफ़्तार लगभग तीन मीटर प्रति वर्ष है । प्रदेश के अधिकाँश हिस्सों में भू - जल स्तर गिरता ही जा रहा है । मॉनसून की बेरुखी और प्रचंड गर्मी के कारण पानी के वाष्पीकरण में तेज़ी आई है । मार्च के पहले हफ़्ते में ही भोपाल के तापमान ने 38 डिग्री सेल्सियस की लम्बी छलाँग लगाई है । बड़ी झील पहले ही हाथ खड़े कर चुकी है । ऎसे में आया है होली का त्योहार .......। भोपाल वासियों की प्यास बुझाने का ज़िम्मा सम्हाल रहे नगर निगम के हाथ - पाँव भी फ़ूल गये हैं । लोगों से सूखी होली खेलने का गुज़ारिश की जा रही है । निगम ने जनता को पानी के संकट की गंभीरता का एहसास कराने के लिए आज एक विज्ञापन प्रसारित किया है ।
दूसरी तरफ़ भोपाल के नए नवाब ( बाबूलाल गौर) शहर को गर्मियों में भी चमन बनाने पर आमादा हैं । हाल ही में उन्होंने हैदराबाद का दौरा किया और पाया कि वहाँ के निज़ाम की मखमली घास भोपाल की घास की बनिस्पत बेहद नर्म है , सो हैदराबादी घास शहर में लगाने का फ़रमान जारी कर दिया । भरी गर्मी में लाखों रुपए खर्च करके घास मँगाई गई है । अब लाखों की घास के रखरखाव और बचाव पर करोड़ों रुपए खर्च होंगे । लेकिन शहर के व्यस्ततम लिंक रोड नम्बर दो पर लग रही इस मुलायम घास पर चलने का मज़ा लेने के लिए लोगों को अपनी जान जोखिम में डालना ही होगी । वजह ये कि मखमली घास फ़ुटपाथ पर नहीं रोड डिवाइडर पर लगाई गई है । गौर साहब शहर में सौ नए बाग - बागीचे बनाने की योजना का खुलासा भी कर चुके हैं । अँधेर नगरी - चौपट राजा .......।
भोपाल में दो दिन में एक बार औसतन करीब 400-500 लीटर पानी सप्लाई किया जा रहा है । तीखी गर्मी में जब लोगों के प्यासे कंठ को पानी मिलना दुश्वार हो रहा है , तब बागीचे सजाने के जुनून को क्या कहा जाए ? वैसे मेरी कॉलोनी में भी पिछले चार सालों से राजपरिवार ( बीजेपी ) के प्रादेशिक स्तर के पदाधिकारी रहते हैं ।
उनके घर के सामने के मैदान पर कभी बच्चे खेला करते थे , मगर नेताजी के सरकारी खर्च पर बागीचा सजाने के शौक ने बच्चों से खेल का मैदान छीन लिया । अब बच्चे उस पार्क में खेल नहीं सकते , बुज़ुर्गों की तरह केवल बैठ सकते हैं ।
पार्क में लगे पौधों और घास को तर रखने के लिए कोलार की मेन पाइप लाइन में अवैध रुप से मोटी पाइप डलवा कर पानी लिया जा रहा है । मगर पार्क बड़ा और गर्मी तेज़ है , इसलिए पौधों की प्यास बुझाने के लिए नगर निगम के टेंकर भी कीचड़ हो जाने की हद तक मैदान की तराई में जुटे हैं । लोग प्यासे मरें तो क्या .....? आधुनिक युग के इन राजाओं के सभी शौक पूरे होना ही चाहिए , आखिर लोकतंत्र है । लोकशाही में जनता की सेवा का बेज़ा फ़ायदा उठाने की कूव्वत अगर नेता अपने में पैदा नहीं कर पाए , तो धिक्कार है ऎसे प्रजातंत्र और ऎसी नेतागीरी पर ....। आखिर कभी समझाकर ,कभी डराकर और कभी धमकाकर हर आवाज़ उठाने की कोशिश का गला दबाना ही तो प्रजातंत्र है ।
3 टिप्पणियां:
सही लिखा है ... बहुत ही चिंताजनक स्थिति है पानी की ... पर इसके लिए कुछ नहीं सोंचा जा रहा ... आगे न जाने क्या हो ... होली की ढेरो शुभकामनाएं।
sareetha ji aap ne bahut hi gambhir vishay par aaj kalam uthaayee hai..aankhen khol dene wala lekh aur chitr bhi...
umeed hai ki is aur prashasan ka dhyan jayega aur kuchh kary hoga.
public bhi apna sahyog banaye rakhey..holi sukhe rangon se khelen to bahut achcha rahega..ek ek kadam se hi rasta tay hota hai.
Holi ki dheron shubhkamnyon ke saath--alpana
होली में मनों का मैल धुल जाये। इस मौके पर सभी ढेर सारी खुशियां पायें।
आपको होली की बहुत सी शुभकामनायें...
एक टिप्पणी भेजें