बधाई , दशानन के अनुयायियों को ।
रावण इन दिनों डिमांड में है । सुना है कैकसी के पुत्र और कुबेर के भाई , लंकापति की बाज़ार में खासी मांग है । शेयर बाज़ार निवेशकों को चाहे जितना रुला रहा हो , स्टाक एक्सचेंज के धन कुबेर भले ही कंगाल हो चुके हों लेकिन समाचार पत्रों की मानें तो रावण के भाव आसमान छू रहे हैं । रामलीला में राम पर लंकेश भारी पड रहे है । राम का किरदार निभाने वालों की भारी तादाद के कारण मर्यादा पुरुषोत्तम का मार्केट रेट नीचे आ गया है ।ये और बात है कि देश में ईमानदार चिराग लेकर ढूंढने से ही मिलें । खबर है कि रावण का किरदार निभाने वाले कलाकार बीस हज़ार रुपए में भी नहीं मिल रहे ।
रावण का बढता कद अखबारों और इलेक्ट्रानिक मीडिया की सुर्खियां बटोर रहा है । भोपाल के नामी गिरामी मठाधीश रावण की मार्केटिंग कर लोगों को पुतला फ़ूंक जलसे में खींचने की जुगाड में लगे हैं । लंकाधिपति रावण की पैकेजिंग से लेकर उसके दहन से निकलने वाले आतिशी शोलों तक की पत्रकारों की जमात को एक्सक्लूसिव खबर मुहैया कराई जा रही है ।
कहीं पचपन फ़ुटा रावण भीड जुटाएगा , कहीं अस्सी फ़ुटे दशानन का दहन आयोजन की सफ़लता की गारंटी बनेगा , तो कहीं उसकी आंखों और भेजे से निकलने वाली आतिशबाज़ी मजमा लगायेगी । होर्डिंग और लुभावने इश्तेहारों के ज़रिए भीड का रुख अपनी ओर खींचने की कवायद की जा रही है । अपने -अपने खेमे , अपना - अपना रावण । कहीं बेशकीमती ज़मीन पर हाथ साफ़ करने की मंशा है , तो कहीं विजयादशमी के बहाने राजनीति चमकाने की कोशिश ।
वैसे तो विजयादशमी बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत के तौर पर देखा जाता है ,लेकिन हर तरफ़ धूम तो रावण की ही है । इस जलसे की सालाना रस्म अदायगी के बाद हम इस खुशफ़हमी में जीते हैं कि पुतला फ़ूंकते ही बुराइयां काफ़ूर हो गईं ।
समाज में रावण की बढती हैसियत कई कैफ़ियत चाहती है । क्या रावण की लोकप्रियता सामाजिक मूल्यों के बदलाव का इशारा है .....? हाल ही में इस मुद्दे पर बहस के दौरान एक नए नज़रिए या यूं कहें , फ़लसफ़े ने चौंका दिया । लोग अब मानने लगे हैं किस अच्छाई की अपनी कोई हैसियत ही नहीं । मेहरबानी बुराई की कि उसकी वजह से आज भी अच्छाई सांसे ले पा रही है । कहा तो यहां तक जाने लगा है कि राम का वजूद ही रावण से है । एक बडा तबका ऎसा भी तैयार हो चुका है , जो मानता है कि रावण के एक अवगुण को रेखांकित करके समाज में राम को मर्यादा पुरु्षोत्तम के तौर पर प्रतिष्ठित कर दिया गया ।
चिंता इस बात की भी है कि रावण की पापुलरिटी समाज का बुनियादी ढांचा ही तहस - नहस ना कर दे .... ? दाउद , अबु सलेम , राज ठाकरे ,अमर सिंह , राखी सावंत , मोनिका बेदी जैसे किरदार यक ब यक कामयाबी की पायदान चढते हुए समाज के रहनुमा बनते नज़र आते हैं । ज़हीन तबका गाल बजाता है और पुराणों की बातों को मानते हुए इस उम्मीद पर ज़िंदा है कि कलि के पापों से निजात दिलाने के लिए जल्दी ही कल्कि का अवतरण होगा । बहरहाल फ़िलहाल तो आलम ये है ..........
गलत कामों का अब माहौल आदी हो गया शायद
किसी भी बात पर कोई हंगामा नहीं होता ।
4 टिप्पणियां:
RAM mandiron main hi milte hain aur RAVAN har gali-chorahon par khade dikh jate hain.
isi liye RAM ke mukavale kabhi thanon main kabhi sansad main ye RAVAN log KARODON main bik jate hai.
विजय दशमी पर्व की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.
Desh ke halaton par aapki peeda aur chinta jayaj hai.
रावण काफी ब्रिलिएंट था इसलिए उसका भाव तो बढ़ेगा ही। खुद राम को भी रामेश्वरम स्थापना के समय उसकी सेवा लेनी पड़ी।
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