देश अब भी बारुद के मुहाने पर बैठा है । जल्दी ही आम चुनावों की घोषणा हो जाएगी और पूरा देश लोकतंत्र के जश्न में डूब जाएगा । मंदी की मार के चलते नौकरी से हाथ धो बैठे कई युवाओं को काम मिल जाएगा और बचे खुचे लोग इस उत्सवी माहौल में अपना ग़म ग़लत करते नज़र आएँगे । ऎसे ही किसी शानदार मौके की राह तक रहे हैं -दहशतगर्द । जब पूरा देश चुनावी रंग में सराबोर होकर बेखबर होगा , तब आईएसआई के आतंकी रंग में भंग डालने का साज़ो सामान लेकर टूट पडे़गे कई ठिकानों पर ।
खुफ़िया एजेंसियों की रिपोर्ट कहती है कि आईएसअआई की शह पर भारत में अफ़रा-तफ़री फ़ैलाने की साज़िश को अंजाम देने की पूरी तैयारी है । हालाँकि पहले भी इस तरह की सूचनाएँ मिलती रही हैं ,लेकिन हर बार चेतावनियों को अनदेखा कर देने का खमियाज़ा आम नागरिक ने उठाया है । सरकार ने 26 / 11 के मुम्बई हमले पर अब तक "नौ दिन चले अढ़ाई कोस" का रवैया अपना रखा है । ऎसे में दहशतगर्दों के हौंसले बुलंद हों , तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी ।
इधर खबर ये भी है कि ओबामा का अमेरिका पाकिस्तान को तालिबानियों की गिरफ़्त में फ़ँसा "बेचारा" मानने की तैयारी कर चुका है । इस लाचारगी से बाहर लाने के लिए जल्दी ही करोंड़ों डॉलर की इमदाद भी पहुँचाई जाएगी , ताकि पाकिस्तान इस "मुसीबत" से उबर सके । "शरीफ़ पाक" ज़्यादा कुछ नहीं थोड़े आतंकी और थोड़ा रसद पानी खरीदेगा इस पैसे से और ज़ाहिर तौर पर इसका इस्तेमाल होगा भारत के भीतर घुसकर भारत के लोगों को गाजर - मूली की तरह काटने में ।
खुफिया एजेंसियों को अल कायदा के आतंकी अबू जार के फोन इंटरसेप्ट के ज़रिए साजिश का पता चला है। इस साजिश में अल कायदा, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा समेत कई आतंकी संगठन भागीदार हैं। इनका मकसद केवल भारत में धमाके करना ही नहीं है । वैसे तो भारत-पाक रिश्तों में अब पहले सी गर्मी नहीं रही लेकिन आतंकी रिश्तों के तनाव की चिन्गारी को भभकती लपटों की शक्ल देना चाहते हैं । संदेश को पकड़ने के बाद सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ गई है।
यह हमला कार बम के जरिए करने की बात कही गई है। देश की सभी गुप्तचर एजेंसियों ने एक ही संकेत दिया हैं कि आईएसआई के आतंकवादी भारत में कई सुरक्षित ठिकानों पर मौजूद हैं और किसी बड़े शहर पर किसी बड़े हादसे के लिए सही वक्त की टोह ले रहे हैं। इनमें से कई के नाम पते और शिनाख्त भी खुफ़िया तंत्र के पास हैं। संदेश में अबू जार ने अपने साथियों से दिल्ली पर हमले करने के लिए तैयारियाँ शुरू करने को कहा है।
सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक अबू जार का मकसद कश्मीर घाटी समेत समूचे भारत में आतंकी वारदात करने का है। अल कायदा आतंकी अबू जार पर 2001 में जम्मू विधानसभा में बम विस्फोट, 6 सितंबर 2003 में जम्मू के एक इलाके में बम विस्फोट और 16 नवंबर 2006 को जम्मू-कश्मीर के एक बैंक में बम विस्फोट कर कई लोगों की जान लेने का आरोप है।
कश्मीर के कांजीकोला इलाके में सक्रिय अबू जार कार बम के इस्तेमाल में माहिर माना जाता है। वह कश्मीर के आतंकियों के छोटे -छोटे गुटों को इकट्ठा कर देश में हमले कराने की फिराक में है। अल-कायदा आतंकी का मकसद दोनों देशों में युद्ध जैसे हालात पैदा करने का है।
पाकिस्तान की भारत के प्रति खुन्नस किसी से छिपी नहीं है । दरअसल वह हज़ार घावों से लहूलुहान हिन्दुस्तान देखना चाहता है , लेकिन अमेरिका की ख्वाहिश भी कुछ अलग नहीं । पूरा देश बराक ओबामा के चुने जाने पर बौरा रहा था लेकिन जिस तरह से आउट सोर्सिंग पर रोक लगाने का फ़रमान सामने आया है , मालूम होता है भारत का दुनिया में बढता रसूख अमेरिका की आँख की किरकिरी बन गया है । मंदी ने पूरी दुनिया में ज़लज़ला ला दिया है । इसमें तीस लाख से ज़्यादा भारतीय रोज़गार गवाँ बैठे हैं , लेकिन नेता ’ओम शांति, शांति ,शांति......... जपते हुए चुनावी रणभेरी फ़ूँकने की कवायद में मशगूल हैं ।
( चुनाव पूर्व चेतावनी - नीम बेहोशी से जागो । अब भी नहीं तो कभी नहीं । मोमबत्तियाँ जलाने वालों , गुलाबी चड्डियों के गिफ़्ट बाँटने वालों ,बेवजह सड़क पर दौड़ लगाने वालों ,हवा में मुक्के लहराने वालों , हस्ताक्षर के ज़रिए व्यवस्था बदलने का दावा करने वालों कोई तो रास्ता सोचो । छोटे - बड़े अपराधी में से चुनाव की भूल मत दोहराओ । देश बचाओ ,लोकतंत्र बचाओ )
5 टिप्पणियां:
भयावह तस्वीर प्रस्तुत की आपने परंतु आम लोग भी कुछ कम दोषी नहीं आखिर उनकी याददाश्त कमजोर जो है।
कोई आश्चर्य नहीं यदि अमरीका पकिस्तान को तालिबानियों द्वारा पीड़ित समझ और अधिक आर्थिक मदद करने लगे. लेकिन पकिस्तान आर्थिक से अधिक सैनिक साजो सामान चाहता है. अमरीका क्षेत्र में अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए भारत की उपेक्षा भी कर सकता है. हमें सचेत रहने की आवश्यकता है. हर शहर में आतंकियों की पैंठ है.
सोचने पर मजबूर करता है आपका यह लेख
बहुत बुरी खबर है यह तो .... गुप्तचर एजेंसियों को सचेत रहना चाहिए।
ये खतरा तो हमेशा ही बना हुआ है। पूरी दुनिया ही अभिशप्त है इस खतरे से। कुछ तो करना ही होगा। नींद से जागना ही होगा।
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