मध्य प्रदेश की सेहत इन दिनों काफ़ी खराब है । इतनी ज़्यादा कि नौनिहालों का पेट भी नहीं भर पा रहा । मज़बूत भविष्य का भरोसा दिला कर एक बार फ़िर सत्ता पर कब्ज़ा जमाने की जुगाड में लगी बीजेपी कार्यकर्ता महाकुंभ के ज़रिए शक्ति प्रदर्शन में लगी है । वहीं दूसरे राजनीतिक दल बयानबाज़ी में मशगूल हैं ।
प्रदेश के सतना , छिंदवाडा , ग्वालियर ,इंदौर , धार और झाबुआ ज़िले में हालात बेकाबू हो चुके हैं । पोषण आहार के अभाव में बच्चे कुपोषण का शिकार हो कर असमय ही मौत के आगोश में समा रहे हैं । बच्चों को स्वस्थ रखना तो दूर सरकार इन कुपोषित बच्चों के इलाज का इंतज़ाम करने में भी नाकाम रही है ।
प्रदेश में बाल कल्याण और स्वास्थय सेवाओं का हाल इस कदर बिगड चुका है कि ऎन राजधानी में सरकार की नाक के नीचे ४० कुपोषित बच्चों को स्टाफ़ की कमी का रोना रोकर हमीदिया अस्पताल में दाखिल करने से इंकार कर दिया गया । जब राजधानी के सूरते हाल इस कदर बिगड गये हैं तो दूर -दराज़ के इलाकों के हालात का अंदाज़ा लगा पाना कोई मुश्किल काम नहीं ।
इससे भी ज़्यादा गंभीर बात ये है कि सरकार ये मानने को तैयार ही नहीं कि कोई बच्चा कुपोषण का शिकार बना है । अपनी खामियों पर पर्दा डालने में जुटे मंत्री इसे मौसमी बीमारी का नाम देकर अपना पल्ला झाड्ने की कोशिश में लगे है । बेशर्मी की हद तो तब हो गई , जब एक मंत्री ने सतना में ४० और खंडवा में ५३ बच्चों की मौत को वायरल फ़ीवर और उल्टी - दस्त का मामला बता कर सरकार के नाकारापन को उजागर कर दिया ।
गरीबों की हितैषी होने का दम भरने वाली सरकार ने बच्चों की जान बचाने के लिए कोई कदम उठाने की बजाय मामले की लीपापोती की कवायद शुरु कर दी है । अफ़सोसनाक है कि अपनी नाकामी छुपाने के लिए जनता के नुमाइंदों ने गरीब आदिवासियों को अंधविश्वासी बताने से भी गुरेज़ नहीं किया । मंत्री जी ने राजधानी में पत्रकारों का मजमा जुटाकर फ़रमाया कि खंडवा के खालवा ब्लाक के कोरकू और सतना के कोल जनजाति के लोग इलाज के लिए आज भी झाड -फ़ूंक का सहारा लेते हैं और ये ही बच्चों की मौत की असली वजह है ।
ये तथ्य भी कम हैरान करने वाला नहीं कि किसी पत्रकार ने आखिर मंत्रीजी से ये जानने की ज़हमत क्यों नहीं उठाई कि बुढा चुके देश में यदि अंधविश्वास की जडें मज़बूत बनी हुई हैं , तो जवाबदेही किसकी बनती है ...? किसी खबरनवीस ने ये सवाल खडा क्यों नहीं किया कि आखिर वो आंकडे कहां हैं जो मंत्रीजी के बयान को सही ठहरा सकें । मौसमी बुखार हाल के दिनों में प्रदेश में इस हद तक जानलेवा कब और कैसे हुआ और सरकार अंजान ही रही ...? ऎसे मुद्दे जब भी सामने आते हैं ,सरकार के साथ -साथ पत्रकारों की भूंमिका भी संदेह के दायरे में आ जाती है । सरकारी कामकाज पर नकेल कसने वाला तबका ही उसके साथ गलबहियां करने लगे तो इसे क्या नाम दें ?
7 टिप्पणियां:
ek achchi post ke liye badhaaee
आपने काफी तथ्यपरक और चुभनेवाली बातें लिखी हैं। एक गुज़ारिश है... महज़ एक पाठक की हैसियत से। बिल्कुल अन्यथा ना लें। तथ्यों को अगर थोड़ा और रोचक तरीक़े से पेश करने की कोशिश की जाए, तो बेहतर रहेगा। (जैसा कि आपके के पोस्ट की हेडिंग है) आखिर ब्लॉग के ज़रिए आप भी तो ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचना चाहती होंगी। शुभकामनाएं।
kuposhan bahut gambhir samasya hai.sarkar aur janta dono ko iskey prati satark ho jana chahiye anyatha shaktishali nai peedi kaise taiyar hogi. achcha likha hai aapney.
http://www.ashokvichar.blogspot.com
ज़ब भी जिम्मेदारी या उत्तरदायित्व की बात होती है तो हमारे समाज में अक्सर सब भाग जातें हैं |
http://guptavivek.blogspot.com
Ek achha mudda uthaya hai aapne
kichad me hi kamal khiltaa hain
jo halaat mp ka ho chuka hain chhattisgarh me bhi huvaa hain sirf 8 district mein
बढ़िया मुद्दा...मेरे ही प्रदेश का!!
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