गणपति बप्पा मोरिया , अगले बरस तू जल्दी आ।
गणेश विसर्जन का वक्त आ चला है । दस दिन हमारे घरों में मेहमान रहने के बाद अब अगले वर्ष आने के वायदे के साथ गणनायक अब बिदाई ले लेंगे । लेकिन क्या विघ्नहर्ता श्रीगणेश इस भरोसे के साथ बिदा हो सकेगे कि वे इस वसुंधरा और समूची मानव जाति को जिस हाल में फ़िलहाल छोडकर जा रहे हैं क्या वे धरती को अगले साल भी उसी रुप में देख सकेंगे । पूरी दुनिया आतंकवाद के साये तले डर -डर कर जीने के लिऎ मजबूर है । विश्व को ग्लोबल विलेज कहने वाले लोग बाज़ारवाद की गिरफ़्त में आकर पूजा पंडालों को हाईटेक बनाने , स्पांसर तलाश कर भगवान की भक्ति के नाम पर ज़्यादा से ज़्यादा धन कमाने मॆं लग गये हैं । क्या भक्ति के बाज़ारीकरण को रोकने और ईश्वर के सही मायने तलाश्ने के लिए श्रीगणेश हम सभी को सदबुद्धि का वरदान देकर जायेंगे या फ़िर ............
गणपति बप्पा मोरिया , होने दे जो हो रिया ।
1 टिप्पणी:
हाँ सरिता जी, बिल्कुल सही कहा आप ने. बाजारवाद की चपेट में तो अब सब कुछ धीरे धीरे आता जारहा है. कमाल की बात है कि यह बाजारवाद दिन दूना रात चौगुना बढ़ता ही जा रहा है.
लिखती रहिये. आप भी अपनी नेट सक्रियता बनाए रहें.
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निवेदक : 'ब्लॉग्स पण्डित'
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