रविवार, 14 दिसंबर 2008

आतंकी कसाब के मानव अधिकारों का वास्ता ........

आजकल मन में बडी ऊहापोह है । मुम्बई हमले का एकमात्र ज़िंदा पकडा गया चरमपंथी एकाएक मुझे हालात का मारा निरीह प्राणी नज़र आने लगा है । अपने मन की बात मैं किससे कहूँ ? और चुप भी कैसे रहूँ ? क्योंकि दिल की बात ज़बान पर आते ही देशप्रेमी जमात मेरी जान की दुश्मन हो जाएगी और चुप्पी की घुटन मुझे चैन से जीने नहीं देगी ।

ये भी संभव है कि इस साफ़गोई के बाद मेरा सिर कलम करने के लिए कई राष्ट्र भक्त फ़तवा जारी कर दें । लेकिन अब मुझे कोई परवाह नहीं क्योंकि मेरे साथ है देश का मीडिया ....। आखिर मैं उन्हीं की मुहिम को आगे बढाने का काम ही तो करुंगी ।

चैनलों को देख - देख कर ही मेरा ’ब्रेन वॉश’ हुआ है और हकीकत सामने आ सकी है । खबरची लगातार बता रहे हैं कि मोहम्मद अजमल आमिर कसाब को अमिताभ बच्चन की फ़िल्में पसंद हैं । वह लज़ीज़ मांसाहारी खाने का शौकीन है । यानि वो पूरी तरह बिल्कुल हमारी - आपकी तरह है । गरीबी का मारा कसाब बस कुछ पैसों के लालच में झाँसे में आ गया । आखिर उसकी उम्र ही क्या है ? लडकपन में तो ऎसी गल्तियां हो ही जाती हैं , तो क्या उसकी भूल पर रहमदिली नहीं अपनाना चाहिए ।

हाल ही में मानव अधिकार दिवस गुज़रा है । इस दिन हुई तमाम गोष्ठियों और सेमिनारों ने मेरी आँखें खोल दी हैं । मैंने जान लिया है कि मानवता ही जीवन का सार है । कोई कितना ही बडा अपराध क्यों ना कर दे हमें मानवतावाद का दामन थामे रहना चाहिए । इसी नाते हमें कसाब के साथ नरम रुख अख्तियार करना चाहिए । क़साब पर मुंबई पुलिस ने हत्या, हत्या का प्रयास, देश के ख़िलाफ़ जंग छेड़ने, षड़यंत्र करने और विस्फोटक एवं हथियार अधिनियम कि विभिन्न धाराओं के तहत 12 मामले दर्ज़ किए हैं ।

चैनलों के ज़रिए मिली खबरों ने मुझे कसाब के प्रति अपना नज़रिया बदलने पर मजबूर किया है । हाल ही में जागृत मेरा मानव अधिकारवादी मन कसाब के हक में सरकार से मांग करता है कि उसके लिए हर रोज़ बेहतरीन मुगलई दस्तरखान सजाया जाए । डीवीडी पर मनपसंद फ़िल्में देखने की इजाज़त दी जाए । उसकी पैरवी के लिए जानेमाने वकीलों की टीम मुहैया कराई जाए । कसाब अम्मी को खत लिखना चाहता है , मगर टेक्नालाजी के इस दौर में सीधे हाट लाइन पर बात करने में भी क्या हर्ज़ है ?

अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के मानवतावादी यह मुद्दा हथियाएं , उससे पहले हमें इसे लपक लेना चाहिए । आप महानुभाव भी इस पुण्य कार्य में हाथ बंटाना चाहें , तो तहे दिल से स्वागत है आपका । तन ,मन खासतौर पर धन से दिल खोलकर मदद कीजिए । याद रखिए आज का निवेश कल की सुरक्षा ....। कल को देश दुनिया में नाम भी हो सकता है और विदेशी फ़ंडिंग की मार्फ़त दाम भी बढिया मिलेगा ..। तो फ़िर देर किस बात की ....? हाथ बढाइये । हाथ से हाथ मिलाइये ....।

28 टिप्‍पणियां:

विवेक सिंह ने कहा…

हाँ हाँ यहाँ तो यही होगा अब . वैसे पैदा तो सभी मासूम ही होते हैं .

Ashoke Mehta ने कहा…

media jise chha he hero bana sakta hai aur sari dunia ko murkh bana sakta hai. hum sirf dekhte hai jo jo dikha raha hai.

Arvind Mishra ने कहा…

यही वह क्लैव्यता है जिसको लेकर पूरी गीता लिखी पढी सुनी गयी ! इन दुर्बलताओं को दूर कीजिये और मन को मजबूत कीजिये -उस दुष्ट के पिल्ले ने कितने ही मासूमों को को सी एस टी स्टेशन पर जिंदा ही भून दिया और कितने ही नागरिकों ,सिपाहियों को मौत का के घाट उतार दिया -क्या आपके परिवार के किसी सदस्य ,ईशवर न करें ,को इसी अत्राह गोलियों से भूना गया होता तो भी आप ऐसी ही दयार्द्रता दिखातीं ? मानवाधिकार के आड़ में अपने कमजोर भावों की अभिव्यक्ति से बाज आयें ! मैं आपके इस सोच की कड़ी भर्त्सना करता हूँ !

प्रवीण त्रिवेदी ने कहा…

अरे भविष्य की अच्छी आहट को महसूस कर लिया आपने !!!!


प्राइमरी का मास्टर का पीछा करें

Arvind Mishra ने कहा…

ओह हो तो यह आपका वयंग था -चलिए मेरी टिप्पणी इस मनोवृत्ति पर ही थी !

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

सरिता जी
नमस्कार
निश्चित रूप से चिंतनशील व्यक्ति का इतने अहम् विषय को लेकर चिंतित होना स्वाभाविक है.
आप से सहमत होते हुए एक बात अवश्य कहना चाहूँगा , कि हम और हमारी शासन प्रणाली में कहीं न कहीं दोष या कमी तो है, अन्यथा हम एक घटना को भुलाने की कोशिश जब तक करते हैं तब तक एक नई घटना जन्म ले चुइकी होती है , आख़िर ऐसा क्यों होता है, क्या पहले वाली घटना से सबक लेना हमारी फितरत में नहीं होना चाहिए .

आपका
विजय

विष्णु बैरागी ने कहा…

नहीं पता कि आपने यह सब 'अभिधा' में लिखा है या 'व्‍यंजना' में किन्‍तु हमें अपनी 'भारतीयता' की रक्षा अपने सम्‍पूर्ण आत्‍म-बल से करनी ही चाहिए । यह 'भारतीयता' हमारा देश भी है और संस्‍कार भी ।
मेरी बात को परस्‍पर विरोधाभासी और विसंगत कहा जा सकता है किन्‍तु विश्‍वास कीजिए, ऐसा बिलकुल ही नहीं है । ऐसे ही क्षणों और प्रसंगों में गांधी सामने आते हैं जिसकी अहिंसा, सहिष्‍णुता और सदाशयता वीरों की है - कायरों की नहीं । कसाब के मानवाधिकारों की रक्षा की बात की खिल्‍ली उडाई जा सकती है लेकिन यदि हमें अपने आप पर विश्‍वास है तो कसाब के मानवाधिकारों की रक्षा करते हुए उसे मृत्‍यु दण्‍ड तक आसानी से पहुंचाया जा सकता है ।

राज भाटिय़ा ने कहा…

ऎसे लोग जो हमारी मां बहन पर नजर ऊठा कर भी देखे, इतनी निर्दियता से मारा जाये ओर उस को टी वी पर दिखाया जाये,ताकि बाकी के सुयर के वच्चे ओर सुयर उसे देख कर आईदां ऎसी हिम्मत करने से पहले दस हजार बार सोचे.
धन्यवाद

बेनामी ने कहा…

socha tha bahut kuch kehenge magar likh nahi paa rahe?shayad kasaab masoom man ka ho,magar uske haath range lahu ki boonde dard deti hai.

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

बेचारा बेरोजगार गरीबी मे राह भटक गया . दोषी नहीं है वह बेचारा | एक मुहीम शुरू हो जिससे वह वापस अपने घर जाकर जीवन व्यतीत करे . इसके प्रायोजक है तमाम तेज़ और सच और आपको आगे रखने बाले चेनल

Gyan Darpan ने कहा…

आपकी आशंका सही है कुछ दिनों बाद देखना मानवाधिकार के नाम पर इसे बचाने के लिए कुछ देशद्रोही जरुर मानवाधिकार कार्यकर्त्ता बनकर ऐसी बकवास शुरू कर देंगे और उनका भोंपू हमारा मीडिया है ही |

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

एक बार के लिए यह अनुभव मन में लाएं कि ताज में उस शाम आपका पति, पुत्र,पिता, मां, बहन या कोई भी लक्तेजिगर वहां था और आतंक का शिकार हो गया और सच्चे मन से बताइये कि क्या आप कसाब को कसाब की तरह हलाल नहीं करते। यदि आप का उत्तर ‘नहीं’ में है तो आप झूठ बोल रहे हैं।

Unknown ने कहा…

बेहतरीन व्यंग्य है। मानवाधिकार वाले कसाब को चिकन खिलाकर ही मानेंगे… यदि भारत का कोई वकील तैयार न हुआ तो पाकिस्तान से वकील आयेंगे, और बैरागी जी की इच्छानुसार हुआ और मान लो मृत्युदण्ड मिल भी गया तो फ़िर उसकी फ़ाइल राष्ट्रपति के पास पेंडिंग पड़ी रहेगी, अनन्तकाल तक… लेकिन फ़ाँसी… ना ना ना, इतनी बड़ी मानवाधिकार वाली बात सोचना भी पाप है भारत में… जय गाँधीवाद्…

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

बेचारा अजमल कसाई!

Varun Kumar Jaiswal ने कहा…

जी हाँ मानवाधिकारियों की बैठकें भी शुरू हो चुकी हैं अब जल्दी ही फ़ैसला अजमल के पक्ष में आ जायेगा |
जय जय गांधीवाद |

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने कहा…

कोई मानवाधिकार नहीं है उसके पास क्यों कि वह मानव ही नहीं है। चन्द रूपयों की लालच और धार्मिक उन्माद के वशीभूत होकर मानवता का जघन्य हत्यारा दया का पात्र नहीं है।

कृपया मजाक में भी ऐसी बातें न की जाँय नहीं तो ऐसे और भी दरिन्दे प्रतीक्षासूची में हैं।

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत बढिया व्‍यंग्‍य है.....हमारे यहां सभी गुनाहगारों को सजा से बचाने के लिए कितने तरह के उपाय ढूंढ लिए जाते हैं।

PD ने कहा…

पहले यह स्पष्ट करें कि यह व्यंग्य था या सच में आप ऐसा ही चाह रहे हैं? ;)

Suresh Gupta ने कहा…

अपराधी से मुहब्बत हो जाना कुछ लोगों के लिए कोई असामान्य बात नहीं है. मीडिया को चाहिए कसाब की मां को टीवी पर रोते हुए दिखाए, किसी को रात को में शायद नींद नहीं आएगी.

Anil Pusadkar ने कहा…

बहुत सहीं। नादान,कसाब भाईजान को माफ़ कर दिया जाना चाहिये ताकी दुनिय मे हमारे धर्मनिरपेक्ष और मानवाधिकारवादी होने का डंका बज सके और छूट कर कसाब हमारे और भाईयोंकी जान भी ले सके। हमे इस माम्ले मे तिस्टा बहन की भी मदद मिलेगी ऐसा लगता है।

BrijmohanShrivastava ने कहा…

चैनलों के जरिये मिली ........भी क्या हर्ज़ है /इस पद को दो मर्तवा पढ़ा /इतना बढ़िया व्यंग्य अभी तक मेरे पढने में नहीं आया था /कहीं कहीं तो बिल्कुल शरद जोशी की शैली की तरह

Satyendra Tripathi ने कहा…

करारा तमाचा मारा है आपने इन तथाकथित मानव अधिकार की बात करने वालो को। हम तो टीवी नही देखते इसलिये ज्यादा पता नही है। कल ही मै बीबीसी की सन्दिग्ध भूमिका पर एक लेख पढ रहा था। वे अभी तक टेरररिस्ट की जगह गनमैन शब्द प्रयोग कर रहे है। बीबीसी आतंकियो के कैम्प मे गयी और फिर लिखा कि यहाँ स्कूल है और अस्पताल है। उसके बाद तहलका की टीम गयी। उसपर भी इसीका दबाव था पर उसने लिखा कि कैम्प के आस-पास रहने वाले रोज जेहादी नारे और गोलियो की आवाज सुनते थे। विदेशी मीडिया हो या मानव अधिकार वाले सबकी पोल भारत का पढा-लिखा वर्ग जानता है। जो नही जानता वे आपके जैसे जागरुक लोगो के माध्यम से जान जाते है। अभी रुकिये कुछ समय बाद इन सब के विरुद्ध ऐसी आग भडकेगी कि एक बार मे ही सारे फूक दिये जायेंगे। भारतीय जनता मे स्टार्तिंग ट्र्बल है। एक बार जाग गयी तो फिर कहर बरपा के छोडेगी।

Unknown ने कहा…

Kasab koi mamooli Criminal nahi hai .. Wo human hi nahi hai to fir human rights kehan se aayi?

A terrorist should never get a human right.

संजय शर्मा ने कहा…

हम सैकड़ों को मुंबई में कसाब के कारनामे से नही बचा सके तो क्या एक कसाब को करोड़ों अरबों भारतीय से नही बचा सकते ? बस प्रयास जारी है .सफलता में संदेह नही है .

Unknown ने कहा…

बहुत अच्छा कहा सारिता जी, आपका चरण राज नही मिल रहा है वरना उसे माथे से लगाता. अब एक प्रश्न आपसे है, उम्मीद है आप जवाब जरुर देंगी:
आपकी बेटी के साथ (भगवन न करे) किसी लड़के ने बलात्कार किया, आपके परिजनों को किसी ने गोली से उडा दिया, आपके पति को जिन्दा जला दिया, तो क्या आप उसके मानवाधिकारों का बात करेंगी... हिम्मत के साथ जबाब देना और अपना पता भी लिखना ताकि आपके जबाब के बाद किसी का मन हुवा तो आपके घर पर जा सके. और अगर आप उसके मानवाधिकारों का बात नही कर सकती तो आपको क्या हक है देश के साथ बलात्कार करने, दर्जनों माओ की गोद सुनी कराने, सुहाग मिटने और मासूमो को अनाथ बनने वाले के मानवाधिकार की बात करे... अरे सतही लोकप्रियता के लिए ओछी बातें कराने वालों अगर देश से गद्दारी की बात करना और आतंकवादियों को दामाद बनाना ही मानवाधिकार है तो मै थूकता हूँ तुम जैसों पर.
आप जैसे लोगों ने देश की छवि येसी बना राखी है कि यहाँ आतंकवादी आते हुए डरते तक नही है. हजारों समर्थक है न उनके.. मै थूकता हूँ उन पर जो मरनेवालों के मानवाधिकारों की बात ना कर मारने वाले के लिए आँखों से समुन्द्र बहा रहा है..

Unknown ने कहा…

अरविन्द मिश्रा और अभिषेक आनंद साहब बचपन से ऐसे है कि हाल मे ऐसी हालत हुई है ?

सरिता जी, अच्छा व्‍यंग्‍य है.

बेनामी ने कहा…

saaritaji,
kasab ke priti aapki dariyadili ander tak chub gaiye . man ko yah samjhakar mana raha hoo ki yah aapka wyavastha ke prati yange
tha|kyoki darindo ke prati yah sahanubhuti ki apaksha kisi samajdar se to nahi ki ja sakti.sanjay sanam
www.sanamshotcake.blogspot.com

बेनामी ने कहा…

sach me vyang tha jaan kar khushi hui...
aur shekhu sahab jara sun lijiye aap bhi ki yaha A. R. Antule jaise log bhi hai aur aap jaise bhi... aap khud ko kaha rakhte hai ye aap samjhe hum to vyang me bhi kutto ko guh hi khilayenge kabhi rabri ki tajveej na karenge...