मध्यप्रदेश में बैतूल और रायसेन के ज़िला निर्वाचन अधिकारियों के फ़ैसलों ने कहीं खुशी - कहीं ग़म की स्थिति बना दी है । भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज की उम्मीदवारी के कारण हाई प्रोफाइल बनी मध्यप्रदेश की विदिशा संसदीय सीट से काँग्रेस प्रत्याशी राजकुमार पटेल का पर्चा खारिज हो गया है । वहीं बैतूल में भाजपा उम्मीदवार ज्योति धुर्वे के हक में निर्णय आया है । काँग्रेस ने श्रीमती धुर्वे का जाति प्रमाणपत्र फ़र्ज़ी होने का आरोप लगाया था । जाँच और दोनों पक्षों की दलील के बाद उनका पर्चा सही पाया गया ।
काँग्रेस उम्मीदवार राजकुमार पटेल ने अपने नामजदगी के पर्चे के साथ फार्म ए की मूल प्रति के स्थान पर छाया प्रति जमा की जिसे निर्वाचन अधिकारी ने अमान्य कर दिया है। इस मामले पर पार्टी में ही कई तरह के कयास लगाये जा रहे हैं। लेकिन सारे मामले में पटेल की "भूमिका" की जांच चुनाव के बाद ही होगी । बैकफुट पर नजर आ रही पार्टी अब अन्य विकल्प तलाशने के साथ ही प्रतिष्ठा बचाने के प्रयास में जुटी है।
पार्टी के नेता हैरान हैं कि भाजपा की राष्ट्रीय नेता के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी और पूर्व मंत्री श्री पटेल से ए फार्म समय पर दाखिल करने के मामले में चूक कैसे हो गयी ? साथ ही इस क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी श्रीमती स्वराज को वॉकओवर देने का मुद्दा गर्माने को लेकर भी पार्टी में खलबली मची हुई है । इस घटनाक्रम से कार्यकर्ता हताश और नेता हतप्रभ हैं ।
दुविधा में फ़ँसी पार्टी अब नाक बचाने के लिये दूसरे विकल्प तलाश रही है । निर्दलीय के तौर पर पर्चा भरने वाले श्री पटेल के भाई देव कुमार पटेल को समर्थन देने के मुद्दे पर भी पानी फ़िर गया है । देवकुमार पटॆल का नामांकन भी रद्द हो जाने से कांग्रेस को एक बार फ़िर निराशा ही हाथ लगी है । दोनों ही नामांकन खारिज होने के बाद अब यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या सुषमा स्वराज को काँग्रेस वॉकओवर देने जा रही है । हालांकि काँग्रेस पटेल प्रकरण पर सकते में है । पार्टी उनके खिलाफ़ निष्कासन जैसी कड़ी कार्रवाई का मन बना रही है ।
वैसे पटेल ने नामांकन फ़ॉर्म जमा करते समय जिस तरह की मासूमियत दिखाई ,वह चौंकाने वाली है । काँग्रेस को इससे भारी फ़जीहत का सामना करना पड़ रहा है । विदिशा से सुषमा स्वराज का नाम सामने आने के बाद पार्टी ने किसी नए चेहरे पर दाँव लगाने की बजाय तज़ुर्बे को तरजीह देते हुए पटेल की दावेदारी को बेहतर समझा । काँग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि उम्मीदवारों को नामांकन फ़ॉर्म भरने से जुड़ी सभी ज़रुरी बातें अच्छी तरह समझाई जाती हैं । पटेल के मामले में जानकारों को साज़िश की बू आ रही है क्योंकि पटेल को खुद कई चुनाव लड़ने का अनुभव है ।
अब उनका इतिहास भी खंगाला जा रहा है । वे बुधनी से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के खिलाफ़ भी चुनाव लड़ चुके हैं । इसे दिलचस्प संयोग ही कहा जाए कि उस वक्त भी उन्होंने नामांकन पत्र में अपनी पार्टी का नाम ही ग़लत भर दिया था । वहाँ मौजूद कुछ वरिष्ठ लोगों ने तत्काल भूल सुधरवा दी थी । हारने के बाद उन्होंने हाईकोर्ट में चुनाव परिणाम को चुनौती दी ,लेकिन वे एक बार भी गवाही के लिये अदालत नहीं पहुँचे । लिहाज़ा मामले में एकतरफ़ा फ़ैसला सुना दिया गया ।
बहरहाल काँग्रेस प्रत्याशी श्री पटेल का कहना है कि वे कानूनी परामर्श के बाद कदम उठाएंगे । उन्होंने कहा कि जिला निर्वाचन अधिकारी ने अन्य प्रत्याशियों से तीन बजे के बाद भी दस्तावेज लिए लेकिन सिर्फ उन्हीं से फार्म ए नहीं लिया। फार्म ए कलेक्टर को तीन बजकर सात मिनट पर दिया गया था जबकि नामांकन पत्र 2 बजकर 14 मिनट पर जमा किया गया।
उधर सूत्रों का कहना है कि काँग्रेस प्रत्याशी राजकुमार पटेल ने शनिवार को दोपहर 4.10 बजे जिला निर्वाचन अधिकारी को एक आवेदन दिया था । जिसमें उन्होंने कहा था कि वे निर्धारित समय से विलंब से अपना "ए" फार्म जमा कर रहे हैं। इसे स्वीकार करने के बारे में जिला निर्वाचन अधिकारी का जो भी निर्णय होगा वह उन्हें मंजूर होगा । मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के सूत्रों के अनुसार प्रत्याशी को नामांकन पत्र दाखिल करने के साथ निर्धारित समयसीमा में फार्म ए भी निर्वाचन अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करना होता है। अन्यथा प्रत्याशी संबंधित राजनीतिक दल का नहीं माना जाएगा।