मालेगांव धमाके की गूंज थमने का नाम ही नहीं ले रही । मामला जितना खुलता है , उतना ही उलझता जा रहा है । हर उगते सूरज के साथ नई कहानी । कभी आरोपी खेमे का पलडा भारी होता है ,तो कभी एटीएस के बहाने कांग्रेस ,लालू और मुलायम खेमे की बांछें खिल जाती हैं ।
जितने मुंह उतनी बातें । खोजी पत्रकार बंधुओं ने अब साध्वी के गांव की खाक छानना शुरु कर दी है । सुनने में आया है कि तेज़तर्रार साध्वी के छात्र जीवन को खंगालकर मालेगांव धमाके के सूत्र तलाशे जा रहे हैं ।
एटीएस तो अच्छी स्क्रिप्ट बनाने में फ़िलहाल नाकाम रही ,लेकिन अपने खबरिया चैनलों ने ज़रुर टेक्निशियन की हडताल के चलते बेरोज़गार घूम रहे स्क्रिप्ट राइटरों को काम पर लगा दिया है । डमी साध्वी बेहतरीन संवाद अदायगी से लोगों तक ’ आधी हकीकत आधा फ़साना ’ पहुंचा रही है ।
खैर खबरें हैं , तो चैनल हैं ,चैनल हैं तो दर्शक हैं , और दर्शक फ़ुरस्तिया हैं , तो चैनलों पर बकवास भी है । यानी सब एक दूसरे के पूरक , पोषक और ग्राहक । बहरहाल मेरे लिए ये कोई मुद्दा नहीं है । मुझे तो चिंता है इस पूरे मसले में सिर्फ़ दो ही बातों की ........। पहली तो ये कि मालेगांव मामले में एटीएस के बयानों ने भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने का मौका पाकिस्तान को बैठे बिठाए दे दिया है । दूसरी - ज़मींदोज़ हो चुके पीयूसीएल और तीस्ता सीतलवाड सरीखे मानव अधिकारवादियों की ।
सुनने में आया है कि एटीएस के धमाकेदार खुलासों ने भारत सरकार की बेचैनी बढा दी है । विदेश और ग्रह मंत्रालय भी एटीएस द्वारा जुटाए गए तथाकथित बयानों और सबूतों को लेकर पसोपेश में है । उनकी चिंता ये है कि अब एटीएस के इन्हीं सबूतों की बिना पर पाकिस्तान सरकार अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के खिलाफ़ माहौल तैयार करेगी ।
सेना और आईबी में भी एटीएस की जांच को लेकर चिंता है । विदेश मंत्रालय ने राष्ट्रीय सुरक्शा सलाहकार तक अपनी चिंता पहुंचा दी है । साथ ही हिंदू आतंकवाद के जुमले से परहेज़ बरतते हुए इसे एक नए रुप में देखने का मशविरा भी दिया है । विदेश मंत्रालय और खुफ़िया एजेंसियां भी मान रही हैं कि भले ही घरेलू राजनीति में इस मामले ने बीजेपी के आतंकवाद के मुद्दे की हवा निकाल दी हो , लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंन्दू आतंकवाद के इस नए चेहरे से देश की छबि को बट्टा लगा है ।
आतंकवाद से निपटने के साझा प्रयास की सहमति बनने के बाद भारत और पाकिस्तान ने अक्टूबर २००६ में एंटी टेरेरिज़्म मैकेनिज़्म [एटीएम] तैयार किया था । हाल ही में इस्लामाबाद में हुई एटीएम की बैठक मे पाकिस्तान ने समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट की जांच की मांग उठाकर न केवल दबाव बढाया , बल्कि अपने इरादों का संकेत भी दे दिया ।
हिंदू आतंकवाद के तार जिस तरह समझौता एक्सप्रेस मामले से जुडते बताए जा रहे हैं , उनसे पाकिस्तान बेहद उत्साहित है । गौर तलब है कि ब्लास्ट में मरने वाले ज़्यादातर लोग पाकिस्तानी थे । अब तक भारत में होने वाली आतंकवादी वारदातों के लिए पाकिस्तान की खुफ़िया एजेंसी आईएसआई को ही ज़िम्मेदार ठहराकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को घेरा जाता रहा है । ये पहला मौका है जब भारत को उसी के देश की एक जांच एजेंसी की रिपोर्ट के हवाले से घेरने का सुनहरा मौका पाकिस्तान को चलते फ़िरते मिल गया ।
दुनिया छोड चुकी महिलाओं के हितों की लडाई लडने वाला राष्ट्रीय महिला आयोग ज़िंदा औरत की ओर अपने फ़र्ज़ शायद भूल चुका है । मानव अधिकार भी लगता है कुछ खास किस्म के लोगों के ही होते हैं । उन खास लोगों की फ़िक्रमंदी में ही सारे एनजीओ अपनी ऊर्जा ज़ाया करके ही परमार्थ सेवा का पुण्य लाभ अर्जित करते हैं ।
सामान्य से नज़र आने वाले मामले ने बातों ही बातों में देश को मुश्किल मोड पर ला खडा किया है । अब भी देर नहीं हुई है , ओछी राजनीति के लिए देश की साख को दांव पर लगाने की कोशिशों को नाकाम किया जा सकता है संजीदगी और मज़बूत राजनीतिक इच्छाशक्ति के बूते ।
इक तरफ़ ज़ोर है ,हुकूमत है माल है, मुल्क है , सियासत है ।
इक तरफ़ वलवले हैं मेहनत है शोर है , जोश है , बगावत है ।