सामंती युग में राज परिवारों में सालगिरह मनाने का रिवाज़ था । लोग तोहफ़े - नज़राने देकर राजा के प्रति अपनी निष्ठा का मुज़ाहिरा पेश करते थे । अब ज़माना कुछ और है । कहते - कहते ज़ुबान थक गई है , फ़िर भी याद बताना ज़रुरी है कि भारत में अब भी लोकतंत्र बरकरार है । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री तो इतने विनम्र और सेवाभावी हैं कि वे खुद को हमेशा जनता का सेवक बताते नहीं थकते । उनकी निगाह में जनता ही उनकी भगवान है और वे उस के सच्चे सेवक.....??????
बहरहाल , इस तरह की विनम्रता सिर्फ़ शिवराजजी को ही शोभा देती है । कहते हैं ना कि जिसमें जितनी गुरुता वो उतना विनम्र ..। सो पाँव - पाँव भैया भले ही उड़न खटोला खरीदने की हैसियत वाले हो गये हैं लेकिन विनम्रता का लबादा ओढे रहने में भी वे बेमिसाल हैं ।
अब आते हैं मूल मुद्दे पर । वन - वन भटकने वाले श्रीराम की तुलना में माखन चोर , चितचोर नटखट नटवर नागर , कन्हैया का जन्मदिन बड़े पैमाने पर धूमधाम से मनाने की प्राचीन परंपरा रही है । जय हो .. मीडिया की , जिसकी मेहरबानी से भोलेशंकर के विवाह उत्सव भी पूरे तामझाम के साथ धूमधड़ाके से मनाने की परंपरा भी अब ज़ोर पकड़ने लगी है । लेकिन फ़िर भी थोड़ी कसर तो रह ही गई , शिवशंकर का जन्मदिन धूमधाम से मनाने की । मगर मध्यप्रदेश के शिवराज भी किसी "भोले भंडारी" से कम नहीं । इसलिए पाँच मार्च को प्रदेश के उत्साही भाजपाइयों ने उनका पचासवाँ जन्मदिन हर्षोल्लास से मनाने की तैयारी कर ली है ।
राजसी ठाट बाट से शपथ ग्रहण के बाद अब भाजपा सरकार के मुखिया का जन्मदिन भी शानोशौकत से मनाने के लिए राजधानी के व्यापारियों से सहयोग की गुज़ारिश की गई है । हो सकता है ऎसा ही सहयोग हर छोटे बड़े शहर के व्यापारियों से भी माँगा जा रहा हो । पाँच मार्च को पूरा भोपाल शिवराज का जन्मदिन मनाता दिखे , इसके लिए जगह - जगह होर्डिंग- बैनर लगाने की योजना है । भाजपाइयों ने महाभोज की तैयारी भी की है ।
’ जिसकी जितनी श्रद्धा , उसका उतना चढावा और बदले में उतनी ही परसादी ’ की तर्ज़ पर व्यापारियों से कहा गया है कि वे शकर ,आटा ,चावल सहित अन्य ज़रुरी सामग्री पहुँचायें ।शिवराज के मुख्यमंत्री बनने से पहले तक पाँच मार्च एक गुमनाम तारीख थी लेकिन पिछले तीन सालों से जन्मदिन मनाने की भव्यता के साथ ही इसकी व्यापकता भी विस्तार पा रही है । पिछले साल तीन हज़ार भाजपाई ही " शिवराज जन्मोत्सव " के छप्पन भोग का रसास्वादन कर पाये थे । लेकिन " बर्थ डे ब्वाय " इस मर्तबा चाहे जितनी ना नुकुर कर लें , दस हज़ार कार्यकर्ताओं को "जिमाने" के लिए रसद पानी का इंतज़ाम तो जनता को करना ही होगा ।
जुम्मा - जुम्मा चार दिन नहीं बीते जब शिवराज तामझाम नहीं काम की सीख देते घूम रहे थे । सार्वजनिक मंचों पर फ़ूलमालाओं से होने वाले स्वागत - सत्कार से भी परहेज़ की बात करने वाले शिवराज का इस जन्मोत्सव के बारे में क्या खयाल है ? भई हम तो कुछ नहीं कहेंगे । चुप ही रहेंगे । मन ही मन गुनगुनाएँगे - भये प्रकट कृपाला दीनदयाला , कौसल्या (भाजपा) हितकारी , हर्षित महतारी मुनि मन हारी अदभुत रुप बिचारी ।