गुरुवार, 8 अक्टूबर 2009

बेमानी हैं पीटी ऊषा के आँसू

भोपाल में उड़नपरी के चार आँसू क्या ढ़लके,मीडिया ने पूरा जहान सिर पर उठा लिया । पीटी ऊषा को भोपाल आने का न्यौता आखिर किसने दिया था ? किसने भेजे थे पीले चावल ? क्यों कि राज्य सरकार का तो साफ़ कहना है कि उन्हें ऊषा के आने की कोई जानकारी ही नहीं थी । राज्य सरकार का दावा है कि अगर पीटी ऊषा उन्हें इत्तला देती,तो राज्य अतिथि का दर्ज़ा पाने की हकदार हो सकती थीं । उधर साई भी अपना दामन बचा रहा है । केन्द्रीय खेल मंत्री गिल साहब भी साई के अधिकारियों को क्लीन चिट दे चुके हैं । कुल मिलाकर समझने वाली बात सिर्फ़ इतनी ही है कि दोष ना सरकार का है और ना ही अधिकारियों का । गल्ती है तो केवल ऊषा की,जो बिना कुछ सोचे-समझे मुँह उठाए चली आईं । आने से पहले कम से कम राजनीतिक हालात की बारीकी से पड़ताल तो कर ली होती ।

केन्द्र में काँग्रेस और प्रदेश में बीजेपी,ऎसे में ये फ़जीहत होना तय ही था । यूँ भी कौन से तीर मार दिये हैं इस फ़र्राटा गर्ल ने । खुद से पूछ कर तो देखें । भोपाल में आवभगत कराने के लिये जितने भी गुणों की ज़रुरत है क्या उनमें से एक भी ऊषा के पास है । क्या वे प्रदेश सरकार को अपनी मुट्ठी में रखने वाले प्रकाश झा की किसी फ़िल्म की हिरोइन हैं । मैदान में पसीना बहा-बहा कर क्या सूरत बना ली है । वे कोई कैटारीना,करीना या ऎश्वर्या तो हैं नहीं कि नेता और अफ़सर स्वागत में पलक पावड़े बिछा देंगे । फ़िर उनका रौब-रुतबा अबू सलेम सरीखा भी नहीं । अबू सलेम ने फ़र्ज़ी पासपोर्ट बनवाकर जो झंडे गाड़े , उसी का नतीजा है कि चार एक की सुरक्षा टुकड़ी के साथ आए दिन भोपाल पधारते हैं । रेलवे स्टॆशन पर अगवानी के लिये पुलिस का पुख्ता इंतज़ाम होता है । सेवा में गाड़ियों का काफ़िला हाज़िर रहता है । कई पुलिसिये तो अबु साहब को गुलदस्ते भी भॆंट कर देते हैं,निगाहों में बने रहने के लिये । क्या पता कल अबु साहब संसद के गलियारों की शॊभा बढ़ाने लगें । ऎसे में आज के संबंध ही तो काम आयेंगे ।

ऊषा को बुरा मानने का कोई हक नहीं जाता,क्योंकि पदकों के नाम पर चंद धातु के टुकड़े जमा करके उन्होंने देश पर कोई एहसान नहीं किया है । आसाराम जैसे गुण भी तो नहीं हैं उनके पास । जो भक्तों को सब कुछ त्याग देने की सलाह देकर अपना खज़ाना भर ले । वो बाबा रामदेव भी नहीं । योग से रोग भगाने का नुस्खा देते देते खुद ही भोगी बन बैठे और अब स्कॉटलैंड में एक टापू की मिल्कियत के मालिक बन गये हैं । लोगों के मन से शनि महाराज का खौफ़ दूर भगाने के एवज़ में अकूत दौलत हासिल करने वाले दाती मदन महाराज राजस्थानी से भी तो पीटी ऊषा ने कोई सबक नहीं लिया ।

ईमानदारी से देश सेवा का जुनून पालने वालों का इस देश में यही हश्र होना है । इसलिये किसी को भी उनके अपमान का दोषी करार देना कतई ठीक नहीं है । अगर मान-सम्मान,खातिर-तवज्जो चाहिये तो वैसे गुण भी पैदा करो । देश को लूटो-खसोटो सरकारी खज़ाने को बपौती समझो । फ़िर देखो दुनिया कैसे कदमों में बिछती है ।

कलयुग में सज्जनों की नहीं दुर्जनों-दुष्टों की पूछ परख है । सच भी है भय बिन होत ना प्रीति । लिहाज़ा पीटी ऊषा और उनके जैसे लोगों को इस कड़वी सच्चाई को मान ही लेना चाहिये कि उन्होंने ऎसा कोई काम देश के लिये नहीं किया है जिस पर नाज़ किया जा सके । सरकार और समाज की नज़रों में ऊँचा उठने के लिये खुद को गर्त में ढ़केलना वक्त की माँग है,जो ऎसा करने का जज़्बा और हिम्मत दिखायेगा देश का हर तबका उसको ही शीश नवायेगा । इस सबके बावजूद एक सच ये भी है कि स्वाभिमान की रक्षा करने वालों का कभी अपमान हो ही नहीं सकता ।

16 टिप्‍पणियां:

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

Wah! bahoot sahi............. kya vayng maara hai aapne............ aapbe maza gaya padh ke..............

waaqai mein.jitna bhi aapne likha hai............sab vichar karne ki cheezen hain..........


gr888888888


aise hi likhte rahiye...........



Regards.........

अजय कुमार झा ने कहा…

पहले पैराग्राफ़ ने तो चौंका कर रख दिया ...मगर आगे पढते जाने के बाद समझ गया कि आपने भिगो भिगो कर मारा है....हद तो ये है कि इतना होने और अक्सर होते रहने के बाद भी इस देश को पूरी उम्मीद है कि आगामी राष्ट्रमंडल खेलों में ढेरों पदक जीतेंगे हमारे खिलाडी..

Shiv ने कहा…

बहुत खूब!!

प्रमोद ताम्बट ने कहा…

पहली दो लाइनें विपरीत असल डाल रही हैं, बाकी आलेख काफी तीखा और व्यंग्यात्मक है। मैं पहले भी कह चुका हूँ आपमें व्यंग्य लिखने की सभी खूबियाँ मौजूद हैं।

प्रमोद ताम्बट
भोपाल
www.vyangya.blog.co.in

निर्मला कपिला ने कहा…

कराDरी चोट बडिया व्यंग है आभार्

P.N. Subramanian ने कहा…

हम आप से बुरी तरह सहमत है.

बेनामी ने कहा…

bahut khoob !
par in sab ka humare yahn ki moti chamdi wale bhrast logo pe shayad he koi fark pade

ghughutibasuti ने कहा…

teekha vyangya!
ghughuti basuti

Chandan Kumar Jha ने कहा…

भयंकर व्यंग !!!!!!!!!!!!

Unknown ने कहा…

Bahut Achcha, Izzat ke asli haqdaar to desh ko lootne wale hain .bus kya karen dil masoskar rah jaata hoon. ZINDABAD

Anil Pusadkar ने कहा…

सूरत न शकल और किया ही क्या है चंद धातु के टुकडे ही तो जमा किये है,मारक लेखन को नमन मगर उन्हे समझ और शर्म आये तब तो।सटीक पोस्ट के लिये बधाई।

बेनामी ने कहा…

सटीक कटाक्ष

बी एस पाबला

संगीता पुरी ने कहा…

आज के सामाजिक राजनीतिक हालात पर क्‍या जोरदार व्‍यंग्‍य है !!

संजय बेंगाणी ने कहा…

बहुत ही करारा लिखा है.

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

सटीक आलेख! बहुत बढिया लिखा। बधाई।

बेनामी ने कहा…
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