tag:blogger.com,1999:blog-1051165835151252409.post8208794213308794364..comments2023-09-16T05:51:18.539-07:00Comments on नुक्ताचीनी: अब बाघिनें भी चलीं ससुराल.........sarita argareyhttp://www.blogger.com/profile/02602819243543324233noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-1051165835151252409.post-46946566196558711452009-04-30T03:33:00.000-07:002009-04-30T03:33:00.000-07:00बालसुब्रमण्यम जी ने सटीक टिप्पणी की है।..लेकिन स...बालसुब्रमण्यम जी ने सटीक टिप्पणी की है।..लेकिन सरिता जी की पोस्ट गौरतलब है। पहले ये तो सुनिश्चित हो जाए कि पन्ना में बाघ हैं भी या नहीं। अंतरप्रजनन की थ्योरी तो ठीक है लेकिन अकेली बाघिन करेगी क्या? सवाल बहुत हैं। जब बाड़ ही खेत को खाने लगे तो उसे कौन बचा सकता है। एसी में बैठकर बाघबहादुर बनने वाले बाघ प्रेमी भी जमीनी सच्चाई से मुंह मोड़े रहते हैं या उन्हें पता ही नहीं होता।Hari Joshihttps://www.blogger.com/profile/13632382660773459908noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1051165835151252409.post-27960023687987980162009-03-23T21:07:00.000-07:002009-03-23T21:07:00.000-07:00बाघों का तो हाल बेहाल है। जब बाघ परियोजना 1972 में...बाघों का तो हाल बेहाल है। जब बाघ परियोजना 1972 में शुरू की गई थी, तब देश में लगभग 1,800 बाघ थे। बाघ परियोजना के 35 वर्षों बाद केवल 1,500 ही बचे हैं। पर यह सरकारी आंकड़ा है। असल में कितने बचे हैं, कौन जानें।<BR/><BR/>मेरे विचार में कान्हा, बांधवगढ़ आदि से बाघों को पन्ना ले जाने में कोई दोष नहीं है। चूंकि हमारे अभारण्यों को जोड़नेवाले वन गलियारे नहीं हैं, बाघ अपने आप दूसरे अभयारण्यों में नहीं जा सकते। इससे उनमें अंतर-प्रजनन होने लगा है, जिससे उनकी नस्ल कमजोर हो सकती है। देश की घनी आबादी को देखते हुए वन गलियारे बनना संभव भी नहीं लगता। ऐसे में यदि पन्ना में बाघिनों की कमी हो, तो इसे दूर करना उचित ही होगा।<BR/><BR/>पर यदि बात यह हो कि पन्ना में बाघ ही नहीं हैं, तो वहां बाघिनें पहुंचाना सचमुच ही अफलातूनी या देशी मुहावरे में कहें तो तुगलकी होगा।<BR/><BR/>पर वन विभाग एक पेशेवर संस्था है, जिसमें अनेक अनुभवी, प्रशिक्षित अफसर हैं। वे ऐसी बेवकूफी करेंगे, ऐसा मुझे नहीं लगता।<BR/><BR/>वन विभाग की तकलीफ यह है कि वह अंग्रेजी सोच में ढली संस्था है, जो संरक्षण का अर्थ लोगों को जंगलों से दूर रखना मानती है। यदि वह स्थानीय लोगों की भागीदारी प्राप्त करे, तो कुछ हो सकता है।<BR/><BR/>पर आजकल वन्यजीव पर्यटन एक फलता-फूलता बड़ा उद्योग बन चुका है। पांच सितारा होटलों और उनके मालिकों, वन्य जीव पर्यटन की संस्थाओं, आदि ने ऐसा निहित स्वार्थ बना लिया है कि वे नहीं चाहेंगे कि इन सबमें स्थानीय लोग हिस्सा बंटाएं।<BR/><BR/>मामला बहुत ही उलझा हुआ है। हमें वन विभाग की कठिनाइयों को भी समझना होगा और मात्र उनके प्रयासों की खिल्ली नहीं उड़ाना होगा।<BR/><BR/>बाघों को बचाने का एक तरीका बंधनावस्था में उनका प्रजनन करना हो सकता है। जंगलों से शुद्ध नस्ल के बाघों को कहीं बड़े-बड़े खुले बाड़े में रखकर प्रजनन कराना चाहिए। इन बाघों को बिलकुल जंगली अवस्था में रखना चाहिए ताकि वे शिकार आदि करने की हुनर भूल न जाएं। और फिर शावक जैसे-जैसे तैयार हो जाएं, उन-उन जंगलों में उन्हें छोड़ना चाहिए जहां बाघ कम हो गए हों।<BR/><BR/>वैसे बाघों को मुख्य खतरा चीन-जापान में उनके अंगों का औषध माना जाने से है, जिनके लिए ही वे चोरी-छिपे मारे जाते हैं। पर चीन-जापान पर अंकुश लगाना तो राजनीतिक स्तर पर ही हो सकता है।बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणhttps://www.blogger.com/profile/09013592588359905805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1051165835151252409.post-83298236810717530672009-03-15T10:27:00.000-07:002009-03-15T10:27:00.000-07:00आशा है,आशा है आप स्वस्थ एवं प्रसन्न होंगी.आपको होल...आशा है,आशा है आप स्वस्थ एवं प्रसन्न होंगी.<BR/>आपको होली की बहुत-बहुत बधाई.बहुत सुंदर लेख.बधाई.मेरे आलेख पर टिप्पणी के लिए धन्यवाद.आगे भीआपके सुझाव एवं मार्गदर्शन की प्रतीक्षा रहेगी.<BR/>सप्रेम आपका साथी<BR/>अरविन्द कुमाररात के खिलाफhttps://www.blogger.com/profile/13027706903805164792noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1051165835151252409.post-23148792327144902182009-03-14T11:19:00.000-07:002009-03-14T11:19:00.000-07:00सरकारी परियोजना है जी. ऐसे ही चलती हैसरकारी परियोजना है जी. ऐसे ही चलती हैइष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1051165835151252409.post-23787103381855954882009-03-14T06:57:00.000-07:002009-03-14T06:57:00.000-07:00अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश में (या उत्तराँचल) एक ...अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश में (या उत्तराँचल) एक बाघ जो नर भक्षी हो गया था, उसे गोली मार कर परलोक पहुंचा दिया गया. जब की उसे बेहोश कर पकडा जा सकता था. हमें एक ई.ऍफ़.एस अधिकारी ने बताया कि मार डाले जाने पर बहुत से अफसरों का भला होता है. ऐसे ही अभी जो किया जा रहा है उसके पीछे भी लोगों को प्राप्ति का योग बनता होगा. आभार.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.com