tag:blogger.com,1999:blog-1051165835151252409.post7585472744637324678..comments2023-09-16T05:51:18.539-07:00Comments on नुक्ताचीनी: न्याय के मंदिर में चढावे का दस्तूरsarita argareyhttp://www.blogger.com/profile/02602819243543324233noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-1051165835151252409.post-30341080540000885412009-01-18T19:57:00.000-08:002009-01-18T19:57:00.000-08:00इस विषय पर बेबाकी और पूरी ईमानदारी से लिखने के लिय...इस विषय पर बेबाकी और पूरी ईमानदारी से लिखने के लिये बधाई।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1051165835151252409.post-88007665769263215472009-01-18T10:01:00.000-08:002009-01-18T10:01:00.000-08:00पहले प्रजातंत्र के चारों खंबे अलग - अलग थे । अब इन...पहले प्रजातंत्र के चारों खंबे अलग - अलग थे । अब इन पर छत पड चुकी है । ये सब एकजुट हो चुके हैं । इससे स्तंभों को मज़बूती भी मिली है और सभी निश्चिंत होकर एक दूसरे के हितों का भरपूर ख्याल रख रहे हैं । इस तरह देश का संभ्रांत वर्ग "जनता के माल" पर मिल बांट कर हाथ साफ़ कर रहे हैं । त्राहि - त्राहि करती जनता का ना तो किसी को ख्याल है और ना ही कोई डर ............।<BR/>बहुत सही कहना है उनका।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1051165835151252409.post-3705531617990119012009-01-18T09:36:00.000-08:002009-01-18T09:36:00.000-08:00सरिता जी अभिवंदन"न्याय के मंदिर में चढावे का दस्तू...सरिता जी <BR/>अभिवंदन<BR/><BR/>"न्याय के मंदिर में चढावे का दस्तूर" आलेख में आपने उस अहम् प्रश्न को उठाया है, जिस पर पूरा विश्व भरोसा करता है. यदि न्याय पालिका ही भ्रष्ट हो जाए तब इसके परिणाम की कल्पना आप स्वयं कर सकते हैं<BR/>- विजयविजय तिवारी " किसलय "https://www.blogger.com/profile/14892334297524350346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1051165835151252409.post-85226355201946949942009-01-18T07:50:00.000-08:002009-01-18T07:50:00.000-08:00बहुत ही सही अभिव्यक्ति . मै आपके विचारो से सहमत हू...बहुत ही सही अभिव्यक्ति . मै आपके विचारो से सहमत हूँ . धन्यवादमहेन्द्र मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/00466530125214639404noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1051165835151252409.post-79260530596921669882009-01-18T07:41:00.000-08:002009-01-18T07:41:00.000-08:00प्रिय सरिता..तुमने वाकई एक बढिया लेख लिखा है ...मै...प्रिय सरिता..तुमने वाकई एक बढिया लेख लिखा है ...मैंने सितम्बर २००३ मैं ''न्यायाधीशों को अनियमीत तरीकों से बाटां गया जनता का पैसा''' एक लेख अपनी पत्रिका औरत मैं छापा था ..हमारे देश मैं न्याय व्यवस्था मैं भ्रष्टाचार पर अभी भी कम ही लिखा गया है ....इन संस्थानों मैं भ्रस्ताचार की वजह से सुनवाइयां आगे बढ़ जाती है जिसकी वजह से देरी और फिर इसी vilamb के कारण न्याय नही मिल पाता आदमी को...विधुल्लताhttps://www.blogger.com/profile/15471222374451773587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1051165835151252409.post-25847926203050620662009-01-18T06:49:00.000-08:002009-01-18T06:49:00.000-08:00बहुत बहुत धन्यवाद आप ने इस विषय पर लिखा। न्यायपालि...बहुत बहुत धन्यवाद आप ने इस विषय पर लिखा। न्यायपालिका पर अधिकाधिक लिखने की आवश्यकता है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com