tag:blogger.com,1999:blog-1051165835151252409.post4102038345428607457..comments2023-09-16T05:51:18.539-07:00Comments on नुक्ताचीनी: अकेले राज ही तो कसूरवार नहीं ..........sarita argareyhttp://www.blogger.com/profile/02602819243543324233noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-1051165835151252409.post-39331358738939060912008-10-21T23:18:00.000-07:002008-10-21T23:18:00.000-07:00सरदार वल्लभ भाई जैसे नेता और लौह पुरुष की आज हमें...सरदार वल्लभ भाई जैसे नेता और लौह पुरुष की आज हमें जरुरत है। उन्होंने जिस तरह जूनागढ़ के नवाब, हैदराबाद के निजाम, अलवर व जोधपुर नरेश सहित अनेक राजाओं से भारत गणराज्य की संधि पर हस्ताक्षर करवाकर देश को एक बनाया वैसी ही सूझबूझ वाले नेता की बड़ी जरुरत है। कड़ाई से काम लेने की आवश्यकता है आज।चलते चलतेhttps://www.blogger.com/profile/00891524525052861677noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1051165835151252409.post-73759476313726549262008-10-21T09:43:00.000-07:002008-10-21T09:43:00.000-07:00राज ठाकरे को आप जिस तरह से समर्थन करने की कोशिश कर...राज ठाकरे को आप जिस तरह से समर्थन करने की कोशिश कर रही हैं ये भी देश को तोड़ने वालों के हाथ मजबूत करने जैसा ही है। अगर कल को झारखंड कोयला, लोहा, अबरख, यूरेनियम, तांबा, क्रेमियम जैसे दर्जनों खनिज संपदा की सप्लाई बंद कर दे तो क्या होगा। झारखंड लगभग 45 फीसदी खनिज उत्पादन करता है। कोयला अन्य राज्यों में भी है। पर उसकी गुणवता काफी कम है। कोयला के बाद ऊर्जा का मुख्य उदपादन यूरेनियम और मिथेन गैस होगा। यूरेनियम उत्पादन का एक ही बादशाह है झारखंड। मिथेन गैस के जो विशाल 7 भंडार मिले है वो भी सिर्फ झारखंड में है। हम सप्लाई बंद कर दे तो देश का क्या होगा। खनिज हमारा है और सरकार ने मुख्यालय दिल्ली मुंबई जैसी जगहो पर बना रखी है। खनिज हमारा और नौकरी दिल्ली मुंबई वालों की। राज ठाकरे ने एहसास करा दिया है कि पहले अपना घर देखो। शायद हमारे यहां भी खनिज संपदा का मुख्यालय अपने राज्यों में बुलाने की मांग शुरू हो जाये ताकि हमारे खनिज से हमारे लोगो को लाभ हो। ऐसा होता है तो खुशी इस बात की होगी कि लगभग एक लाख लोगों को प्रत्यक्ष रुप से और तीन लाख अप्रत्क्ष रुप से झारखंड के लोगो को रोजगार मिल जायेगा। दुख इस बात का होगा कि देश की एक-अखंडता डगमगाने लगेगी। राज ठाकरे और आपके सिद्वांत के अनुसार उस पर हम झारखंड के लोगों का अधिकार होना चाहिये। लेकिन उस पर दूसरे राज्य के लोग नौकरी कर रहे हैं। लेकिन देश के फेडरल सिस्टम में ऐसा होता है। बिहार के नेता पहले चुप रहे दूसरे राज्य के लोगों के कल्याण के लिये। अब हमें मार खानी पड़ रही है। आप जैसे लोग देशद्रोही गतिविधियों का साथ दे रहीं है। यह कदापि उचित नहीं है। यदि मुंबई की तरह अन्य राज्यों में भी शुरू हो जाये तो देश का क्य़ा होगा। मुंबई सहित महाराष्ट्र में चतुर्थ श्रेणी की नौकरी में 95 प्रतिशत लगभग मराठी ही है। तृतीय श्रेणी से परीक्षा होती है यदि आपमें कुबत है तो परीक्षा देकर टकराओ। किसी भी प्रकार से देशद्रोही लोगों का साथ न दे तो बेहतर। सुरेश जी भी बढिया लिखते हैं लेकिन उन्होंने कैसे देश द्रोही तत्वो का साथ कैसे दे दिया ?राजेश कुमारhttps://www.blogger.com/profile/03022479793930240428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1051165835151252409.post-29196437257141945082008-10-21T09:05:00.000-07:002008-10-21T09:05:00.000-07:00एकदम सटीक लेख, आपने राज ठाकरे के मुद्दे को अलग कोम...एकदम सटीक लेख, आपने राज ठाकरे के मुद्दे को अलग कोमल रूप में पेश किया है… असल में जिस परीक्षा के कारण झगड़ा शुरु हुआ है उसका विज्ञापन महाराष्ट्र में प्रकाशित भी नहीं हुआ, और सबसे बड़ी बात तो यह है कि चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की भरती के लिये उसी राज्य के लोकल लोगों को क्यों नहीं लिया जाता? क्या तमिलनाडु या कर्नाटक में गैंगमैन या PWI के पद के लिये लोग नहीं मिलेंगे? बिहार की जनता अपने नेताओं से जवाब-तलब नहीं करती कि हम गरीब क्यों हैं, क्यों हमें बाहर जाना पड़ता है?Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.com